पुस्तक का नाम : अनमोल होती हें बेटियां
लेखक : सुदर्शन भाटिया
मूल्य: ३००
कुल पृष्ठ संख्या : १५२
अनमोल होती हें बेटियां नामक पुस्तक मैने
अपने केन्द्रीय विद्यालय एटा के पुस्तकालय
से लेकर पढ़ी यह पुस्तक मुझे बहुत अच्छी लगी क्योंकि समाज के हालातों को देखते हुए
लेखक ने बेटा बेटी के बीच भेद भाव न कर बेटियों को उचित सम्मान देने की बात कही है
हम सभी जानते है कि संतान के रूप में पुत्र हो या पुत्री कोई अंतर न``ही होना
चाहिए सभी को पढ़ने का मौका देना चाहिए आज कि पुत्री पुत्रों से भी आगे निकल चुकी
है देखा जाये तो पुत्री ही घर की लक्ष्मी होती है तथा दूसरे घर जाकर गृह लक्ष्मी
का रूप लेकर अपने परिवार का जीवन भी सफल बनाती है
नाम :- ऋतू कुमारी
कक्षा :- ८
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